यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 3 जुलाई 2018

जिन्दगी ने जिन्दगी से छल किया


जिन्दगी ने जिन्दगी से छल किया
जिन्दगी को जीने का तब बल मिला
जितना भौतिक कष्ट झेला जिन्दगी ने
उतना ही आगे उसे फिर हल मिला

धर्म को धारण किया जिसने जथा
कष्ट में वो  धैर्य उतना धर सका
जिसने प्रत्युत्तर दिया बस मौन से
वो ही जीवन में विजेता बन सका

अनुकूल  में प्रतिकूल में जो सम रहा
उसको ही जीवन में सच्चा हल मिला
जिनको  है  विश्वास  पूरा  कर्म  में
उनको तो बिन मांगे उत्तम फल मिला  

जो परे,  अपने   पराये  से  रहा
खुद के जो विश्वास पर स्थिर सदा
ऐसों पर आये जो विपदा कैसी भी
ऐसों  ने  हँसकर  उसे जीता सदा  


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com



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