तुम बुला के तो देखों चला आऊँगा
मैं तुम्हारे लिए ही , सदा गाऊँगा
तुम विश्वास केवल , धरो प्रेम पर
सारे उल्लास जग के मैं ले आऊँगा
दिल है कहता कि तुमको पयाम भेजूँ
नाम से भेजूँ या गुमनाम भेजूँ
है ये पहली मोहब्बत का पहला ही ख़त
तूँ इशारा जो कर सरे आम भेजूँ
तूँ कहे तो सुबह तेरे नाम लिख दूँ
चाहे तो शाम भी तेरे नाम लिख दूँ
एक बस प्यार का तूँ इरादा तो कर
जिंदगानी ही ये तेरे नाम लिख दूँ
चाहता हूँ कि मैं इक सलाम लिख दूँ
प्यार पर एक प्यारा कलाम लिख दूँ
एक पाती में मैंने ये सब लिख दिया
सोचता हूँ तेरा इसपे नाम लिख दूँ
इस कथा में तुम्हारी कहानी लिखूँ
प्रेम की अपने थोड़ी रवानी लिखूँ
मिल जाए तुम्हारी जो सहमति प्रिये
तो कहानी में तुमको मैं रानी लिखूँ
तुमको मासूम या फिर दीवानी लिखूँ
अधर की प्यास या तुमको पानी लिखूँ
एक मुक्तक में कैसे बयान मैं करूँ
कैसे अनुपम की पूरी कहानी लिखूँ
सोंचता अपने गम का बयान कर दूँ
झूठ सच की सीमायें मैं आम कर दूँ
होना जो होगा वो, हम भी हैं जानते
झूठे रिश्तों के सच सरेआम कर दे
पवन तिवारी
सम्पर्क- ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें