यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 6 जुलाई 2018

लाख करे कोई यत्न













लाख करे कोई यत्न जो होना है वो होता है
पर असफल होने पर भी संतोष तो होता है
मित्र और संबंधी देते सांत्वना का दान
केवल स्व का स्वालंबन ही मित्र तो होता है  

संकट में अपने संबंधी ही उसकाते हैं
आशंका अनिष्ट की कइयो कथा सुनाते हैं
दिखलाते हैं भय केवल शुभचिंतक बन करके
ऐसे में निज कर्म धर्म ही साथ निभाते हैं


संकट में पत्नी से अधिक अपेक्षा रहती है
भय खाती है अधिक वही भयभीत भी करती है
वो दुर्बल पड़े तो संभव नहीं संकट से बचना   
ऐसे में निज से सफलता परे ही रहती है

ऐसे में होना जो सफल विश्वास रखो निज पर
पत्नी में उत्साह भरो पर प्रेम सहज होकर
जीवन संगिनी का तुमको विश्वास जो मिल पाया
फिर तो विजय मिलेगी तुमको सारे संकट पर

पवन तिवारी
संवाद -  ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com  

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