यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 3 जुलाई 2018

बदला मिज़ाजे वक़्त हम क्या से क्या हुए


बदला मिज़ाजे वक़्त हम क्या से क्या हुए
जो सर झुकाते थे वो अब आखें दिखाते हैं

जिनको सिखायी हमने उजालों की बंदगी
वे हमको ही काली-काली  रातें दिखाते हैं

वर्षों पकड़ कर उंगलियाँ जो साथ चले थे
वो हमको  ही आके गलत राहें दिखाते है

जिनको सिखाये दाँव पेंच जिन्दगी के हम
वो  मोड़  कर  बाज़ू  हमें बाहें दिखाते हैं

जब से अकेला वक़्त हमें छोड़ गया है
सब लोग अक्ल वाली किताबें दिखाते हैं


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com

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