मैं मेरी परछाई मेरे जैसी है
तूँ मेरी होके
क्यों तेरे जैसी है
जब भी तुझको देखूं
तुझको मिलता हूँ
तूँ मेरे जीवन में डेरे जैसी है
दोनों इक दूजे से मिलकर
खुश होते
दोनों की तासीर
सवेरे जैसी है
तूँ आती है खुशियों
से घिर जाता हूँ
तेरी बात तो प्यार
के घेरे जैसी है
बात - बात में ठग
लेते हैं लोग तुझे
तूँ भी भोली
– सीदी मेरे जैसी है
दो मीठी बातों पे
फ़िदा ना होना ‘पवन’
ये दुनिया ना तेरे
– मेरे जैसी है
पवन तिवारी
सम्पर्क –
७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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