तेरा तन अषाढ़ का
घन
जल की बूंदें बड़ी सघन
भीगी - भीगी तेरी लटें ये
झूमें जैसे काली नागन
चमक रही ये
तारे जैसी
नभ मंडल हुआ तेरा
बदन
तेरा मुखमंडल ज्यौं
यौवन
तूँ पूरी की
पूरी सावन
तेरे रूप का क्या गुण गाऊं
तुझ पर मोहित साधु, वृद्ध
जन
तेरा अंग - अंग
सौरभ है
तेरा तन तो पूरा चन्दन
नीली झील से तेरे ये
नयन
तेरी चाल में वीणा
का स्वर
सुनकर लगे करूँ मैं
वन्दन
देख ‘पवन’ तुझे
मोहित हो गया
स्वयं को कर दूँ तुझपे हवन
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
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