शब्दों ने काटा खामोशियों ने मारा
उम्मीद न थी जिनसे
उन्होंने ही तारा
जहां भर में घूमा
जहां भर में जीता
लौटा जो घर तो मैं घर में ही हारा
चींटी ने जिस दिन था
हाथी को मारा
समझा तभी भाग्य का वो सितारा
उसी दोस्त ने हमसे
धोखा किया था
जिसने कहा सब
हमारा – तुम्हारा
करूँ किसपे विश्वास
यारों – पियारों
कि यारों ने ही लूटा
सारा किनारा
कि अब दोस्ती दोस्ती
से भी डरती
इस रिश्ते ने सारा विश्वास
मारा
बताएँगे दिल - दर्द
अब दुश्मनों से
मगर दोस्तों से नहीं है गँवारा
पवन तिवारी
सम्पर्क –
७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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