प्यार क्या जागा कि दिल में आग सी लगने लगी .
जब से तेरे आने की
ख़बर घर में फैली है .
तब से ये सीलन भरी
दीवार महकने लगी .
इक दिन तुम्हारी याद
में गाया जो मैनें गीत तो.
देखकर ये काँच की भी खिड़कियाँ हँसने लगी.
चाँदनी जो चाँद की ख़ातिर सदा लुटती
रही .
तुमको क्या देखा कि
कल बेसाख्ता झरने लगी .
यार पत्नी प्यार
या देवी कहूँ कि क्या कहूँ .
जब से आयी हो मेरी
तो अहमियत बढ़ने लगी .
ख्व़ाब में भी जो
बिछड़ने का नज़ारा देखा तो .
ये लगा कि धड़कनों
संग साँस भी थमने लगी .
सोंचता हूँ पलकों में तुमको छुपाकर रख लूँ मैं .
आज – कल सुनता फूलों को नज़र लगने लगी .
पवन
तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
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