यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 10 अप्रैल 2018

प्रेम के हम दिया और बाती हैं











साथ पल–पल जियें हम साथी हैं
प्रेम  के हम दिया और बाती हैं

उम्र ढल जाए देह जर्जर भी हो
प्रेम  होते कभी भी ना बासी हैं

सुख में तो गैर भी साथ हो जाते हैं
दुःख में जो साथ दें, वो ही साथी हैं

जब ढलें साथ दें दोस्त सच्चे वे हैं
यूँ  जवानी  तो  आती – जाती हैं

खून अपना ही जब दिल दुखाता है
अपनी चिंताएं तब खुद को खाती हैं

दुश्मनों के तो ताने सुने मौज में
दिलरुबा की मगर दिल दुखाती हैं

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
ईमेल -poetpawan50@gmail.com

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