यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

निर्धनता की घोर घटा



















निर्धनता की घोर घटा जब घिर-घिर आयें
उमड़-घुमड़ बादल आयें टिप-टाप बरस जायें
असफल प्रयास हों जब सारे ना कोई युक्ति चले
ऐसे में केवल धर्म मित्र उसकी ही शरण चले आयें

होके समर्पित बिन विचलित हो करें कर्म
ना सोंचे परिणाम अधिक क्या होगा मर्म
सुत,भगिनी,दारा,संबंधी भी छिटकनें लगें जब
समझो तुम्हे परखने को आया हुआ है धर्म

भरी सभा में द्रौपदी सा जब भीषण संकट आये
छोड़ आस जग की तब केवल ईश्वर में रम जायें
ऐसे में डूबती हुई नैय्या भी ऊपर आ जाती
धर्म की हो पतवार तो खेने खुद ईश्वर आयें

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
  

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