जिनको भी धन मिला,चाहें सम्मान वे
जिनका सम्मान,धन
को तरसते हैं वे
विद्वता, सारा
सम्मान है अधूरा
धन के बिन सच में
होता न ये पूरा
मान सम्मान के साथ
धन भी जो है
पूर्णता में तभी
उसका सम्मान है
मान सम्मान से अहं
भर जाता है
मान-सम्मान से उदर
भरता नहीं
भूख जब भी मचाती
कोहराम है
मान-सम्मान का होता अपमान
है
सच यही है कि कुछ एक
अपवाद हैं
मरते दम तक हैं लड़ते
जज्बात हैं
अर्थ बिन भी जिए जो
सम्मान से
वे महामना हैं कर
गुजर जाते हैं
पवन तिवारी
सम्पर्क - 7718080978
poetpawan50@gmail.com
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