यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 15 नवंबर 2017

जिनको भी धन मिला , चाहें सम्मान वे




















जिनको भी धन मिला,चाहें सम्मान वे

जिनका सम्मान,धन को तरसते हैं वे 

विद्वता, सारा सम्मान है अधूरा
धन के बिन सच में होता न ये पूरा
मान सम्मान के साथ धन भी जो है
पूर्णता में तभी उसका सम्मान है

मान सम्मान से अहं भर जाता है
मान-सम्मान से उदर भरता नहीं
भूख जब भी मचाती कोहराम है
मान-सम्मान का होता अपमान है

सच यही है कि कुछ एक अपवाद हैं
मरते दम तक हैं लड़ते जज्बात हैं
अर्थ बिन भी जिए जो सम्मान से
वे महामना हैं कर गुजर जाते हैं

पवन तिवारी

सम्पर्क - 7718080978 
poetpawan50@gmail.com

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