पास जब पैसे नहीं होते
लोग फिर लोग नहीं
होते
ख़ूब देखा है जी करके
यूँ विश्वास डिगे
नहीं होते
जिन्दगी थम जाती
है अचानक
जिस दिन कुरते में
जेब नहीं होते
साथ छूटने का डर तब
ज्यादा होता है
जब कभी हमारे खाते
अमीर नहीं होते
नज़रें,नजरिये बदल
जाते हैं बेसाख्ता
जब कभी बटुए गरम
नहीं होते
दौलत जब दामन
छुड़ाती है तो
अंदर के जज्बात तक
अपने नहीं होते
और जब ये साथ नाचती
है तो
क्या बताऊँ गैर भी
गैर नहीं होते
धन्यवाद ईश्वर का
ऐसे हालात में
बस जो दोस्त
हैं गैर नहीं होते
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
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