यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 5 अगस्त 2017

पहले एक बार ज़िंदा तो हो जाओ



























जिन्दगी जीना चाहते हो तो ये उदासी छोड़ो

थोड़ा मस्ती में हो जाओ 


दोस्ती में ये तकल्लुफ़ कैसा, मज़ा लेना है महफ़िल का तो,
थोड़ा बेतकल्लुफ़ हो जाओ

प्यार भी करना है और यूँ छुईमुई रहकर,जमाना बदल गया है
इज़हार करो,थोड़ा अल्हड़ हो जाओ

इशारों-इशारों में बातें बहुत हुईं, इसे अंज़ाम तक पहुंचाना है
तो आओ,करीब आ जाओ

मुझे चाहती हो जी भर निहारना भी और पर्दे में रहकर
मेरी भी तो चाहत है सनम,ये घूंघट हटाओ,बेपर्दा हो जाओ  

प्यार में मैं ही कब तक कहता रहूंगा,गले लग जाओ,
कभी बेतकल्लुफ़ हो तुम भी कहो
और बेसाख्ता आओ गले लग जाओ


ये आप-आप,जी हाँ,जी कहिये ना,से कैसे खुलेंगे राज़
दोस्तों के रंजो-गम,हाले-दिल सुनना-कहना है
तो ज़रा ''तुम'' हो जाओ

जिन्दगी से ऊब गये हो और मरना चाहते हो तो मज़े से और
मज़े में मरो, हाँ तो आओ ऐसा करो कि लगे
पहले एक बार ज़िंदा तो हो जाओ

पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978/90292969
poetpawan50@gmail.com


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