जिन्दगी जीना चाहते हो तो ये उदासी छोड़ो
थोड़ा मस्ती में हो जाओ
दोस्ती में ये
तकल्लुफ़ कैसा, मज़ा लेना है महफ़िल का तो,
थोड़ा बेतकल्लुफ़ हो
जाओ
प्यार भी करना है और
यूँ छुईमुई रहकर,जमाना बदल गया है
इज़हार करो,थोड़ा
अल्हड़ हो जाओ
इशारों-इशारों में
बातें बहुत हुईं, इसे अंज़ाम तक पहुंचाना है
तो आओ,करीब आ जाओ
मुझे चाहती हो जी भर
निहारना भी और पर्दे में रहकर
मेरी भी तो चाहत है सनम,ये घूंघट हटाओ,बेपर्दा हो जाओ
प्यार में मैं ही कब
तक कहता रहूंगा,गले लग जाओ,
कभी बेतकल्लुफ़ हो तुम भी कहो
और
बेसाख्ता आओ गले लग जाओ
ये आप-आप,जी हाँ,जी
कहिये ना,से कैसे खुलेंगे राज़
दोस्तों के
रंजो-गम,हाले-दिल सुनना-कहना है
तो ज़रा ''तुम'' हो जाओ
जिन्दगी से ऊब गये
हो और मरना चाहते हो तो मज़े से और
मज़े में मरो, हाँ तो
आओ ऐसा करो कि लगे
पहले एक बार ज़िंदा
तो हो जाओ
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978/90292969
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