यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 8 अगस्त 2017

प्रात

























भोर हुई आया फिर  प्रात
चिड़ियों का कलरव भी साथ
शनैः शनैः दिनकर भी साथ
हुआ मनोरम जग संग प्रात

मंद हवा संग टहलें लोग
प्रात भोगना भी इक भोग
सुबह-सुबह का दृश्य मनोहर
जैसे जग गा रहा हो सोहर

प्रात की बात निराली है
सोये को जगाने वाली है
नई चेतना - नई उमंगे
नव रस लाने वाली हैं

नये लक्ष्य संधान कराती
नव ऊर्जा संचार कराती
नये रंग भरकर कहती है
गाओ मैं भी साथ हूँ गाती

प्रात तो नवजीवन है मानो
नई उम्मीद का पनघट जानो
प्रात की बात निराली जग में
प्रात प्रकृति उपहार हैं जग में

प्रात जो देखे बढ़े रोशनी
प्रात जो भोगे स्वस्थ रहे वो
प्रात जिए जो आयु हो लम्बी
प्रात है औषधि संजीवनी


पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com


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