भोर
हुई आया फिर प्रात
चिड़ियों
का कलरव भी साथ
शनैः शनैः
दिनकर भी साथ
हुआ
मनोरम जग संग प्रात
मंद
हवा संग टहलें लोग
प्रात
भोगना भी इक भोग
सुबह-सुबह
का दृश्य मनोहर
जैसे
जग गा रहा हो सोहर
प्रात की बात निराली है
सोये को जगाने वाली है
नई चेतना - नई उमंगे
नव रस लाने वाली हैं
नये
लक्ष्य संधान कराती
नव
ऊर्जा संचार कराती
नये
रंग भरकर कहती है
गाओ
मैं भी साथ हूँ गाती
प्रात
तो नवजीवन है मानो
नई
उम्मीद का पनघट जानो
प्रात
की बात निराली जग में
प्रात
प्रकृति उपहार हैं जग में
प्रात
जो देखे बढ़े रोशनी
प्रात
जो भोगे स्वस्थ रहे वो
प्रात
जिए जो आयु हो लम्बी
प्रात
है औषधि संजीवनी
पवन
तिवारी
सम्पर्क –
7718080978
poetpawan50@gmail.com
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