हकीकत में तो उस दिन
वो मिली थी
पर उसके अगले रोज
ख्वाब में
कोई और मिली थी
कहानियों में जिसे
मैंने पढ़ा था
छुवा था, महसूस किया
था
वो तुम नहीं थी
उस कहानी में कोई और
मिली थी
सुबह जिसको देखा था
दोपहर तक ही उसको
सोंचा था
क्योंकि दोपहर में
कोई और मिली थी
और उसे शाम तक सोंचा
था
क्योंकि शाम लौटते
हुए
गली में कोई और मिली
थी
पर जब फिर अगला
ख्वाब देखा
उसमें कोई और मिली
थी
पर जब से तुम
जिन्दगी बनी हो
सारी सोच,सारे
ख़्वाब,सारे अरमान
तुम तक ही सिमट के
रह गये हैं
न तो तुम पहले कभी
कहानियों में मिली थी
न ख्वाबों में और न
ही किसी शाम
और कभी आते-जाते गली
में भी नहीं मिली थी
ना जाने कहाँ से
तुम्हें अम्मा ढूंढ़कर लाई
और मेरे दिल की कोठरी
में बिठा दी
और मैंने स्वीकार भी
कर लिया
बहुत सोंचता हूँ कि
इस मुलाक़ात से पहले
तुम कहाँ मिली थी
पर सोंच नहीं पाता
हूँ
बस आखिर में जब
सोंचकर थक जाता हूँ
सिर पे हाथ रख लेता
हूँ
और तभी धीरे- से तुम
आती हो, सिर पर हाथ
रखकर
बैठना अच्छी बात
नहीं
सिर दुःख रहा हो तो
तेल मालिश कर दूँ
और फिर इतना सुनकर
खुश हो जाता हूँ
कि जिन्दगी में तुम
मिली
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
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