1.
मैनें खरीदी थी
जरूरतें,मगर मैंने
अन्जाने ही खरीद ली
थी परेशानियाँ
उन जरूरतों में ही
छुपकर
आ गई थी परेशानियाँ
जब मैंने जरूरतों को
खर्च करना शुरू किया
धीरे-धीरे उघड्नें
लगी
छुपी हुई परेशानियाँ
मैनें देखा हर जरूरत
में
लिपटी हुई एक
परेशानी थी
तब लगा कि कम करनी
है परेशानी
तो घटानी होंगी
जरूरतें
इस समझ तक पहुँचते-पहुँचते
थका दिया मेरे पैरों
को
परेशानियों की
बेड़ियों ने
2.
मेरे ही साथ जब मैं
जरूरतें खरीद रहा है
मेरे कुछ परिचित शौक
खरीद रहे थे
मेरी जरूरतों का
उड़ाते हुए मखौल
उनके साथ भी कोई
चुपके से आया था
जब शौक का नशा हल्का
कम हुआ
और शौक पड़ने लगा
प्राचीन
उभरने लगे धब्बे तो
उसमें छुपी हुई
बीमारियों की
उभारदार शक्ल दिखाई देने लगी
3.
वे मेरी परेशानियों
से बहुत ज्यादा खतरनाक थी
कुछ दोस्तों नें
उन्ही दिनों खुशियाँ खरीदी थी
जब खुशियों को घर
लेकर पहुंचे तो,पहुँचते ही
पूरे घर में बिखर गई
खुशियाँ,पर
खुशियों के बिखरते
ही उसमें
छुपा हुआ दुःख दिखने
लगा
और जोर-जोर से लगा
कराहने
सारा सुख तत्क्षण हो
गया क्षीण
तब आया थोड़ा सा समझ
में
इन सब की जड़ खरीदना
ही है
पाने की इच्छा ही है
पवन तिवारी
संपर्क - 7718080978 / 9029296907
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