यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 22 जून 2017

कैसे रात गुजरती होगी मेरे बगैर



















सोचता था कैसे जिऊंगा तेरे बगैर
दिल कहता है मर जाऊंगा तेरे बगैर

सारी जिंदगी गुजारी मैंने तेरे साथ
यह मौसम अब काटूँ कैसे तेरे बगैर

मैं अकेला खुशियों से अब क्या खेलूंगा
खुशियां भी अब गम लगती हैं तेरे बगैर

तूँ जो मिली तो लगा कि जीवन ‘जीवन’ है
तेरे खातिर ही जिया हूं,मर जाऊंगा तेरे बगैर

बोझ बना बिन तेरे जीवन, वक्त भी ठहरा है
दिन तो कट जाता है लेकिन रात नहीं कटती तेरे बगैर

तेरी यादें हर पल साये सी मंड़राती हैं
पर वो बात नहीं है इनमें सजनी तेरे बगैर

पहली बार बगावत तेरी खातिर याद तुझे
मां से कहा था रहूं कुँवारा तेरे बगैर

करवा चौथ का पहला व्रत क्या याद तुझे
मैं भूखा था, कैसे खाता  तेरे बगैर

तूँ भी तो बेचैन बहुत रहती होगी
कैसे रात गुजरती होगी मेरे बगैर

जहां भी होगी तुझ पर है विश्वास मुझे
तेरा दिल भी कुढ़ता होगा मेरे बगैर

पागल सा हो गया हूं शायद जब से गई है तूँ
क्या जीना क्या मरना जानम समझ न आए तेरे बगैर
poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क-7718080978




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