सोचता था कैसे जिऊंगा तेरे बगैर
दिल कहता है मर जाऊंगा तेरे बगैर
सारी जिंदगी गुजारी मैंने तेरे साथ
यह मौसम अब काटूँ कैसे तेरे बगैर
मैं अकेला खुशियों से अब क्या खेलूंगा
खुशियां भी अब गम लगती हैं तेरे बगैर
तूँ जो मिली तो लगा कि जीवन ‘जीवन’ है
तेरे खातिर ही जिया हूं,मर जाऊंगा
तेरे बगैर
बोझ बना बिन तेरे जीवन, वक्त भी ठहरा है
दिन तो कट जाता है लेकिन रात नहीं
कटती तेरे बगैर
तेरी यादें हर पल साये सी मंड़राती हैं
पर वो बात नहीं है इनमें सजनी तेरे
बगैर
पहली बार बगावत तेरी खातिर याद तुझे
मां से कहा था रहूं कुँवारा तेरे बगैर
करवा चौथ का पहला व्रत क्या याद तुझे
मैं भूखा था, कैसे खाता तेरे बगैर
तूँ भी तो बेचैन बहुत रहती होगी
कैसे रात गुजरती होगी मेरे बगैर
जहां भी होगी तुझ पर है विश्वास मुझे
तेरा दिल भी कुढ़ता होगा मेरे बगैर
पागल सा हो गया हूं शायद जब से गई है तूँ
क्या जीना क्या मरना जानम समझ न आए तेरे बगैर
poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क-7718080978
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