यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 5 मार्च 2017

मुझमें इक बार डूबकर देखो












कुछ हो जाएगा,यूँ मेरे चेहरे को न देखो.
देखो,कब मना है,इस कदर प्यार से न देखो .

बहुत बेचैन हो और सुख की तलाश में हो
सुख मिलेगा,किसी का गम उठा कर देखो

लोगों ने कहा,तुमने मान लिया,कभी ध्यान से देखा मुझको
प्यार ही प्यार मिलेगा,मेरी आँखों में खुद को उतार कर देखो

गैर को घूरकर,ललचाकर,फ़िदा होकर देखने से क्या पाओगे
बेशुमार प्यार पाओगे,मुझमें खुद को इक बार डुबाकर देखो

मोहब्बत करोगे तो ये जिन्दगी संवर जायेगी
मुझको मुहब्बत में इक बार आजमाकर देखो

क्यों भटकते हो दर-दर खुशबू की तलाश में
महक जाओगे इक बार मुझमें नहाकर देखो

बहुत सुकून मिलेगा तुम्हारी रूह को भी

बहुत प्यासी हूँ,मेरी प्यास बुझाकर देखो .

poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क -7718080978

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