यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 4 मार्च 2017

अना में आकर

पाँव नहीं हैं मेरे तो उसे लगता है वो जीत जाएगा
उसे मालूम नहीं मुझमें हौसला–ए-बुलंदी है वो हार जाएगा

वो कहता है उसके पास माँ की दुआएं हैं वो जीत जाएगा
मेरी भी माँ है सर पे हाथ है वो कैसे जीत जाएगा

मेरी हुकूमत,मेरा ही जलवा,सदा रहा है,सदा रहेगा,कहने दो
अना में आकर बोल गया है मौत दिखी तो डर जाएगा
  
बहुत से लोग कहते हैं,बहुत होगा तो क्या होगा,जान जायेगी
जब जान पे आती है तो गिडगिडाते हैं, बख्श दो जान जायेगी

बहुत से लोग कहते हैं,तुम प्यार से मांगो हम जान दे देंगे

माँ कब से कह रही है एक चश्मा बनवा दो,न जाने कब देंगे

poetpawan50@gmail.com

सम्पर्क- 7718080978     

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