इस धरती में पैदा हुआ मैं इसका लाल हूँ.
जैसा भी हूँ मैं माँ तेरा बेटा कमाल हूँ
तुझे आँख उठा के जो कोई देखेगा माँ
उसके लिए तो काल क्या मैं महाकाल हूँ.
माना कि आवारा हूँ रंगबाज़ बड़ा हूँ
थोड़ा सा हूँ नटखट मगर दिलदार बड़ा हूँ
सपने में भी चाहेगा कोई माँ का गर बुरा
फिर उसकी ज़िंदगी में मैं जंजाल बड़ा हूँ
दुश्मनों को हिन्द से मैं यही पैगाम देता हूँ
शांति से गर रहोगे तो प्यार का जाम देता हूँ
अगर नज़रें तरेरोगे बेवज़ह हिन्द पर मेरे
फिर अंधेपन का ऐसी नज़रों को इनाम देता हूँ
बेवज़ह हम नहीं पहले किसी को छेड़ते हैं
जो हमको छेड़े कोई फिर उसे नहीं छोड़ते हैं
शुरू पहले लड़ाई हम कभी करते नहीं
शुरू हो जाती है तो ख़त्म करके छोड़ते हैं
स्वदेश की उन्नति के लिए काम करूंगा
गरिमा रहे बढ़ती जतन तमाम करूँगा
हो देश की जब बात तो कुछ सोंचना नहीं
इसके लिए तो शीश भी बलिदान करूंगा
स्वदेश की उन्नति के लिए काम करूंगा
गरिमा रहे बढ़ती जतन तमाम करूँगा
हो देश की जब बात तो कुछ सोंचना नहीं
इसके लिए तो शीश भी बलिदान करूंगा
मर्यादा में रहकर जो तुम काम करोगे
वाणी संयम,तुम सबका सम्मान करोगे
मर्यादा के कारण रघुपति पुरुषोत्तम कहलाये
काम सफल होगा जगत में नाम करोगे
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