बहुत सहा हमने बहुत कुछ गंवाया है
गैर अपने का बोध इसी ने हमें कराया है
माना गरीबी ने हमें बहुत सताया है
मगर इसी ने हमें बहुत कुछ
सिखाया है
बहुत घुटे हैं अपमान कराया है
हुनर जीने का मगर तभी हम को आया है
ए बुरे
वक़्त आभार शुक्रिया तेरा
वक्त,पैसे,अपनों की कीमत जो तूने हमें बताया है
ईमेल- पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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