यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

गरीबी

बहुत सहा हमने बहुत कुछ गंवाया है
गैर अपने का बोध इसी ने हमें कराया है

 
माना गरीबी ने हमें बहुत सताया है
मगर इसी ने हमें बहुत कुछ सिखाया है

 बहुत घुटे हैं अपमान कराया है
 हुनर जीने का मगर तभी हम को आया है

 ए बुरे वक़्त आभार शुक्रिया तेरा
 वक्त,पैसे,अपनों की कीमत जो तूने हमें बताया है


 ईमेल- पवनतिवारी@डाटामेल.भारत


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