नज़्म
तेरे हिस्से की धूप,तुझको देना चाहता हूँ .
कुछ देर छाँव में फिर से जाना चाहता हूँ
तेरी उदासियों को मैं उधार लेना चाहता हूँ
बदले में तुझको मैं मुस्कान देना चाहता हूँ
बहुत खुशियाँ मिली हैं,उन्हें मैं, गुनगुनाना चाहता हूँ
बाँटकर दोस्तों में और खुश होना चाहता हूँ
तूं मेरा दोस्त रहा, है,रहेगा ,यही बस चाहता हूँ
अपनी इस दोस्ती को बस रिझाना चाहता हूँ
तेरा,दुःख,मेरा गम,''हमारा''होना चाहता हूँ
दूर हों कितने भी हम,पर दिल में साथ रहना चाहता हूँ .
पवन तिवारी
सम्पर्क-7718080978
तेरे हिस्से की धूप,तुझको देना चाहता हूँ .
कुछ देर छाँव में फिर से जाना चाहता हूँ
तेरी उदासियों को मैं उधार लेना चाहता हूँ
बदले में तुझको मैं मुस्कान देना चाहता हूँ
बहुत खुशियाँ मिली हैं,उन्हें मैं, गुनगुनाना चाहता हूँ
बाँटकर दोस्तों में और खुश होना चाहता हूँ
तूं मेरा दोस्त रहा, है,रहेगा ,यही बस चाहता हूँ
अपनी इस दोस्ती को बस रिझाना चाहता हूँ
तेरा,दुःख,मेरा गम,''हमारा''होना चाहता हूँ
दूर हों कितने भी हम,पर दिल में साथ रहना चाहता हूँ .
पवन तिवारी
सम्पर्क-7718080978
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें