यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 17 जून 2024

जब तुम्हारे क़रीब होता हूँ



जब     तुम्हारे    क़रीब    होता   हूँ

सारी  ख़ुशियों   के  पास  होता हूँ

होके सब कुछ अकेलापन लगता

तुम  न   हो   तो   अकेले  रोता  हूँ

 

न   हो  तुम  तो   उदास  होता  हूँ

ज़िन्दगी    से    निराश   होता  हूँ

भीगा होकर भी सूखा सा लगता

लगता   है  जैसे  ख़ुद को ढोता हूँ

जब    तुम्हारे   क़रीब    होता   हूँ

सारी  ख़ुशियों  के  पास होता हूँ

 

देख   के  तुमको  मगन होता हूँ

प्यार    में  डूबा – डूबा   होता हूँ

आँखों  में  जुगनू उड़ने लगते हैं

जागे – जागे   ही  सपने बोता हूँ

जब   तुम्हारे   क़रीब    होता  हूँ

सारी ख़ुशियों  के पास होता हूँ

 

पवन तिवारी

१६/०६/२०२४

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