तुम मुझे प्रेम करने वाले थे
दर्द में साथ रहने वाले थे
वक़्त से तेज कैसे बदले तुम
साथ में जीने मरने वाले थे
जब
भी मिलते प्रशंसा करते थे
तुम मेरे रुठने से डरते थे
मैं
तुम्हारे लिए ही सब कुछ था
तुम मेरी हर अदा पे मरते थे
सारे वादे बिखर गए कैसे
इतनी
जल्दी बदल गये कैसे
सदा
का सच क्यों आज झूठ हुआ
प्रेम में धोखा कर गये कैसे
अब
तो बस टूटता ही जाता हूँ
ख़ुद
से ही रूठता ही जाता हूँ
प्रयास जारी सम्भलने का है
ख़ुद
से ख़ुद छूटता ही जाता हूँ
मुझको
ज़िद है कि फिर से जीने की
युक्ति सीखूँगा दर्द सीने की
बहुत
पछताओगे उभरुंगा फिर
अपनी
संस्कृति है गरल पीने की
पवन
तिवारी
१८/१२/२०२१
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