शाम
सा लग रहा था मुझे
जैसे
आभा मेरी खो गयी
आई
जीवन में तुम जो मेरे
भोर
सी जिंदगी हो गयी
प्रेम
के नाम पर पहले भी
मुझको
पूरा था लूटा गया
प्रेम
सच्चा तुम्हारा मिला
मेरी
यादों से झूठा गया
आये
थे कुछ उदासी भरे
दौर
मुझको
सताते
हुए
है
कहानी खतम तुम्हरी अब
हँस रहे थे बताते हुए
उनके
हर कथ्य को प्रेम के
अस्त्र
से तुमने झूठा किया
हर्ष
देखा तुम्हें साथ जो
लौट
आया जो रूठा किया
दुःख
का ग्रह उससे टल सकता है
प्रेम रूठे किसी
का
नहीं
सर्वाधिक
उर को खल सकता है
पवन
तिवारी
२०/१२/२०२१
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