लोग पूछते हैं मुझसे मेरी भी
कहानी
कैसी चल रही है ज़िंदगी में ज़िंदगानी
हो चुके जवान जरा ये भी तो बताओ
इस जवानी को जवानी
है जरा जताओ
कविता में लिखोगे कब तलक ये झील पानी
पहले ही कदम पे छल था फिसल गये जानी
लोग पूछते हैं मुझसे मेरी भी कहानी
है बड़ा ख़िलाड़ी ये तो मिलते ही लगा मुझे
पहली बार में जरूर रूप ने ठगा मुझे
पीड़ा त्रास की मेरे अंदर में है
रवानी
प्रेम दे सके न मिला ऐसा कोई दानी
मोहिनी सी भाषा भी
थी सुना दूँ जुबानी
अब तो कट रही है
मात्र बातें बस तूफानी
लोग पूछते हैं मुझसे मेरी भी कहानी
शुरू - शुरू में जरुर थोड़ी छूट देती
रूप के जमाल में फँसा के लूट लेती
प्रेम की कहानियों में दुःख से
भरी बानी
रूप वाली जितनी भी हैं सब की सब सयानी
फिर भी उनपे ही फ़िदा कि जैसे हों वो रानी
लागे शुरू शुरू में चीज आसमानी
लोग पूछते हैं मुझसे मेरी भी कहानी
बचना रूप से शुरू में सभी बड़ों ने कहा
असली रूप, रूप का, शब्द में है आ रहा
अब तो मेरी कविता में चुनर नहीं धानी
कविता से दूर इन्हें रखना है ठानी
ये कहानी ही मुझे कविता में है सुनानी
बच के रहो प्रेम
जाल से कथा बतानी
लोग पूछते हैं मुझसे मेरी भी कहानी
शब्द मेरे साथी भी दुविधा
में पड़के
थक गये थे रोज प्रेम जाल से जी लड़के
दर्द दिल के अंदर है क्या दवा करानी
समझ नहीं पाता हूँ कैसे है
दिखानी
प्रेम पर लिखूँ कैसे करते हैं रानी
प्रेम की कहानी नहीं
फिर है आजमानी
लोग पूछते हैं मुझसे मेरी भी कहानी
पवन तिवारी
१३/०५/२०२२
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