यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 29 जुलाई 2022

समय हर चाल

समय  हर  चाल  है  चल रहा

उसका  हर  दाव  है खल रहा

फिर भी प्रतिरोध ऐसा गज़ब

समय  का  हौंसला  ढल  रहा

 

मरते - मरते  भी  मन जी रहा

सुख की आशा से दुःख पी रहा

फटता जीवन  सतत  जा  रहा

जिद्दी उर सिलता  ही जा रहा

 

आदमी   की   यही   खूबी  है

गिर के फिर से उठा जा  रहा

काल   प्रतिकूल   है   रहा

आदमी  फिर  भी  है छा रहा

 

दौर  ही  कुछ  दुखों  का रहा

फिर भी हिय काफ़िला सा रहा

हम  भी  हैं  ऐसे  ही  आदमी

साथ  में  सो   जहाँ   रहा

 

साथ में  पहले  कुछ ना रहा

  थपेड़े   सतत  खा  रहा

किन्तु  मन से  था हारा नहीं

इसलिए  हमको जग गा रहा

 

पवन तिवारी

१८/०५/२०२२   

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