आज फिर हूक
उठ
रही है
जैसे मेरी
रूह जल रही है
उसने
कुछ इस तरह छला था
धड्कन
अब तक धधक रही है
जाने
क्यों फिर से लग रहा है
किसी
को फिर से छल रही है
पवन
तिवारी
०५/११/२०२१
यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी
आज फिर हूक
उठ
रही है
जैसे मेरी
रूह जल रही है
उसने
कुछ इस तरह छला था
धड्कन
अब तक धधक रही है
जाने
क्यों फिर से लग रहा है
किसी
को फिर से छल रही है
पवन
तिवारी
०५/११/२०२१
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