यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 12 जुलाई 2022

साथ होकर भी

साथ  होकर  भी  हम  अकेले  हैं

दर्द    के    इतने   सारे   रेले  हैं

प्यार का सुख तो झोंके जैसा था

साल  वर्षों  ही  छल  के  झेले हैं

 

कोई  देता  दुहाई  प्यार  की  है

कोई करता  बड़ाई  यार  की  है

हमको वो प्यार  यार लूट लिया

अपनी  पूरी  कहानी खार की है

 

जब भी कोई प्यार अपना खोता है

उसका  दिल  जार - जार  रोता है

मुझको   मालू  है    वो   तड़पेगा

हाल   कितना   ख़राब   होता  है

 

दुःख से ही तो सुखों का गीत लिया

धोखे  से  दिल  खरीद  मीत लिया

अब तो उसकी  ही  गुलामी करता

दर्द  देकर  भी  उसने  जीत  लिया

 

पवन तिवारी

१४/१२/२०२१ (मेहराबाद )

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