मुश्किल
दिल में ठिकाना है
दिल
का दुश्मन जमाना है
ऐसे में
एक बाहर घर
हमको
मिलकर बनाना है
ना दिखावा
दिखाना है
ना
ही किसको मिटाना है
होके
दृढ़ अपने रस्ते चलें
कुछ
सबक ना सिखाना है
प्रेमी
है जग
ने जाना है
फिर
किसे क्या बताना है
कोई
वादा नहीं कसम कोई नहीं
हाथ पकड़े
निभाना है
सपनों
को मिल के पाना है
प्रेम का
तरु उगाना है
छाया
पाकर समझ जायेंगे
अब ये
बीड़ा उठाना है
पवन
तिवारी
२८/०८/२०२२
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें