मौसम
ये बदल भी जायेंगे
काले
बादल
हट जायेंगे
ये उदासी के
स्वर गुजरेंगे
कुछ
नये तराने आयेंगे
कुछ
सदा रहा न रहेगा ही
सरिता
का जल तो बहेगा ही
थोड़ा
साहस थोड़ा धैर्य धरो
दुःख
का भी किला ढहेगा ही
बेसुरों
के भी दिन आते हैं
पर
अल्प समय ही गाते
हैं
सुर
वाले धीमें से आते
धीरे
– धीरे छा जाते हैं
अच्छों
का भी यही होता है
आरम्भ
में कुछ दिन रोता है
फिर
धीरे – धीरे बदले दिन
और हँसते - हँसते
सोता है
पवन
तिवारी
२९/०५/२०२१
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