उदास
सुबह है निराश दोपहर है
जरा
जरा घाम है,डरी सी शाम है,
ऐसी
ज़िन्दगी का क्या काम है ?
रात
सोने के लिए और सब जाग रहे
आँखों
में लाली है बहुत से हैं भाग रहे
फिर
रात इसका किसलिए नाम है ?
सूरज
ही सुबह करता वही करता शाम है
तारों
को रात भर केवल आराम है
फिर
भी हर दोपहर को सूरज बदनाम है !
खेती
में लोहे के कितने सामान हैं ?
हथियार
बनते हैं कितने फरमान हैं
मोटर
से ले करके बनते विमान हैं
ऐसे
में सोने को क्यों बड़ा गुमान है?
लोहे
से ज्यादा क्यों सोने का दाम है
जीवन
में लोहे का सर्वाधिक काम है
किन्तु
देह पर पसरे सोने का दाम है
सौन्दर्य
मेहनत पर भारी
पड़ा है
हर
युग में यही पाप सबसे महान है
इस
पर भी बोले कुछ कहाँ पड़ा ज्ञान है
पवन
तिवारी
०७/०५/२०२१
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