बिन
मौसम बरसात आ गयी
बिन बातों
के बात आ गयी
थोड़ा
सा संवाद बढ़ा तो
विषय में पहले
रात आ गयी
चर्चा में बस अंधकार है
छाने
को वह बेकरार है
जो
प्रकाश जीवनदायी है
कुछ
की खातिर बेकार है
स्वारथ
का युग चढ़ गया ऐसा
ऐसी
भी बिसात आ गयी
जो
भी बुरा है आकर्षक है
बिलकुल
की जैसे सर्कस है
जो
सादा है अनदेखा है
किन्तु
बुरे की अभी कसक है
अच्छे
की धकियाने वाली
पूरी
एक जमात आ गयी
भीड़
का रेलम रेला है
सबसे
बड़ा झमेला है
भीड़
जुटाए बड़ भारी
इसी
का ठेलम ठेला है
सच
का मंडप खाली है
बाकी
की बारात आ गयी
पवन
तिवारी
१२/०५/२०२१
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