यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 18 सितंबर 2021

कवितायें मेरी सुननी हैं

कवितायें मेरी सुननी हैं सुनिये सुनाइये

मंचों से ठीक,मेड़ से भी स्वर में गाइये

साहब भी सुन रहे हैं, ये अच्छी बात है

मज़दूर वाली भी  ज़रा, कविता सुनाइये

 

साहब के लिए गीत ग़ज़ल सब ने लिखें हैं

कुछ लोग कम में और कुछ ज्यादा में बिके हैं

मैं हूँ नहीं गिनती में, हूँ, सुकून  में  मगर

कविता में मेरे कृषक    मजदूर  दिखे  हैं

 

इस अलग वक़्त में तेवर भी अलग है

कविता का मेरे थोड़ा जेवर भी अलग है

कविता में मेरे रिश्ते भी उभरे है बहुत ख़ूब

कविता में मेरे लखन सा देवर भी अलग है

 

सुनिये  सुनाइये  कोई  पाबंदी नहीं है

कविता का है सारा जहाँ हदबंदी नहीं है

कविता का नाम लेकर ना और सुनाओ

कविता  में  जरूरी  तुकबन्दी  नहीं है  

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

१०/०९/२०२०

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