तुमसे मिलना क्या
बिछड़ने के लिए था
साथ कुछ कदम
चलने के लिए था
तुम्हारे प्रेम में
यूँ भीगना
गलने के लिए था
ये प्यार की लपट जो
बहुत पहले उठी थी
तब चाहता था जलना
पर हो न सका था
क्या आज की खातिर ही
जलने के लिए था
जो पालना बनाया
सुख कामना लिए
अब चला पता कि
वो दुःख के लिए था
ये प्रेम था मिथ्या
या
हम ही थे मिथ्या
ये वर्षों के नाते
क्यों आज ही टूटे
अब सोच रहा हूँ क्या
ये इसके लिए था
अब रास्ते अलग हैं
मंजिल भी अलग है
तुम खुश रहो कि मेरा
क्या
जो खुद से अलग है
आखिर मिला उसी को
जो जिसके लिए था
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
२१/०८/२०२०
बहुत सुंदर रचना लिखी है सर जी 🙏
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