जिसका वादा था
जिंदगी भर का
ना हुआ मेरा ना मेरे
घर का
वाडे भी अब हवा के
जैसे हुए
ना ठिकाना ही ना
किसी दर का
हर जगह शक का बसेरा
मिलता
बड़ी मुश्किल से सबेरा
मिलता
अब भरोसे का भरोसा न
रहा
अब तो मतलब का ही
घेरा मिलता
रिश्ते के उम्र
का अनुमान नहीं
निभ रहे हैं
मगर है मान नहीं
रिश्तों की डोर टूट जाती है
त्याग का शेष है अरमान
नहीं
अब तो रिश्ते चलेंगे स्वारथ के
दुःख उठायेंगे सत्य के
पथ के
खुद को चाहो भरोसा खुद
से करो
लोग साथी बनेंगे
समरथ के
पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८
२१/०८/२०२०
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