सूर्य से नेत्र मिलाना
है तो
नभ में महल बनाना है
तो
शपथ को सफल बनाना है
तो
नव इतिहास बनाना है
तो
पथ को तुझे सजाना
होगा
विजय तलक ले जाना
होगा
शंख के स्वर में
गाना होगा
लक्ष्य सिंह सा पाना
होगा
यूं ही जीत नहीं
मिलती है
यूं ही प्रीत नहीं
मिलती है
यूँ ही ख़ुशी नहीं
मिलाती है
यूं ही हंसी नहीं
मिलती है
तुम मेंघों सी करो
गर्जना
शिव के जैसी करो
अर्चना
लक्ष्मण सी दृढ़ करो
वर्जना
ध्रुव के जैसी करो
प्रार्थना
विजय को चलकर आना
होगा
तुमको गले लगाना
होगा
जय को जय जय लाना होगा
छंद तुम्हारे गाना
होगा
विजय पताका फहराना
है
शून्य के ऊपर लहराना
है
गरुण की गति से फिर
जाना है
वज्र की तरह टकराना
है
फिर जय होगी जय जय
होगी
फिर विजय विजय ही
विजय होगी
हर बात फिर तो लय
होगी
तुमसे भयभीत भी भी
होगी
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
०७/०८/२०२०
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