यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 5 जुलाई 2021

सूर्य से नेत्र मिलाना है तो

सूर्य से नेत्र मिलाना है तो

नभ में महल बनाना है तो

शपथ को सफल बनाना है तो

नव इतिहास बनाना है तो

 

पथ को तुझे सजाना होगा

विजय तलक ले जाना होगा

शंख के स्वर में गाना होगा

लक्ष्य सिंह सा पाना होगा

 

यूं ही जीत नहीं मिलती है

यूं ही प्रीत नहीं मिलती है

यूँ ही ख़ुशी नहीं मिलाती है

यूं ही हंसी नहीं मिलती है

 

तुम मेंघों सी करो गर्जना

शिव के जैसी करो अर्चना

लक्ष्मण सी दृढ़ करो वर्जना

ध्रुव के जैसी करो प्रार्थना

 

विजय को चलकर आना होगा

तुमको गले लगाना होगा

जय को जय जय लाना होगा

छंद तुम्हारे गाना होगा

 

विजय पताका फहराना है

शून्य के ऊपर लहराना है

गरुण की गति से फिर जाना है

वज्र की तरह टकराना है

 

फिर जय होगी जय जय होगी

फिर विजय विजय ही विजय होगी

हर बात फिर तो लय होगी

तुमसे भयभीत भी भी होगी

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

०७/०८/२०२०

  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें