यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

मौत कब बार-बार आयी है


मौत कब बार - बार  आयी है
ज़िंदगी  ही  बड़ी   हरजाई है


कमाना  पैसे  बड़ी  बात मगर
प्यार  सबसे   बड़ी  कमाई है

फला जन्मों का पुण्य होगा तो
दौलत-ए-इश्क   उसने  पाई है

आज भर पेट  वो  खाया  होगा
उसके  चेहरे  पे  ख़ुशी  छायी है

उसकी बेटी की कल ही शादी थी
बहुत  दिन  बाद  नींद पायी है

शाम को  बाँटती  है  रोटी जो
सारे  फुटपाथ  की वो  माई है

तुम्हारा लड़ना यूँ गैरों  के लिए
पवन बस ये ही  अदा  भायी है

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

अणु डाक – poetpawan50@gmail.comई है


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