संघर्षों का तुमुलनाद
कर
अरि के अन्तस् में
खल जाओ
अनल अनिल को मिलने
मत दो
खींच के उनको जल पर
लाओ
एक नहीं असंख्य चाहिए
आओ सारे मिलकर
आओ
अपने हिय ही प्राण
शक्ति से
अनहद जैसी नाद लगाओ
न्यौछावर का प्राण ले लो तुम
संघर्षों को बल देना है
मिथ्या को रौंदते चलो
तुम
सत्य को जीत का फल
देना है
नव शोणित तुम ही
भविष्य हो
सर्वश्रेष्ठ तुम्हें
हल देना है
रचो कि ऐसा गर्व हो सबको
राष्ट्र को सुन्दर कल देना है
शिशु किशोर से युवा
आयु तक
नव प्रवाह चेतन भरना है
बाहु ज्ञान का संगम कर दो
असम्भव संभव करना है
सोचो मत निर्णय का
काल है
धमनी में संचार
बढ़ा दो
काल यही उपयुक्त समझ
कर
अभी नवल इतिहास गढ़ा हो
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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