यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 23 मार्च 2020

संघर्षों का तुमुलनाद


संघर्षों   का   तुमुलनाद  कर
अरि के अन्तस् में खल जाओ
अनल अनिल को मिलने मत दो
खींच के उनको जल पर लाओ

एक  नहीं   असंख्य  चाहिए
आओ  सारे  मिलकर  आओ
अपने हिय ही प्राण शक्ति से
अनहद  जैसी  नाद  लगाओ

न्यौछावर का प्राण  ले लो तुम
संघर्षों   को   बल   देना  है
मिथ्या  को  रौंदते  चलो तुम
सत्य को जीत का फल देना है

नव शोणित तुम ही भविष्य हो
सर्वश्रेष्ठ  तुम्हें   हल  देना है
रचो कि  ऐसा गर्व  हो सबको
राष्ट्र  को सुन्दर कल  देना है

शिशु किशोर से युवा आयु तक
नव  प्रवाह  चेतन  भरना  है
बाहु  ज्ञान  का संगम कर दो
असम्भव   संभव   करना  है

सोचो मत निर्णय का काल है
धमनी  में  संचार  बढ़ा  दो
काल यही उपयुक्त समझ कर
अभी  नवल इतिहास गढ़ा हो


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

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