मान लिया मैं मर जाऊँगा
फिर भी ज़िंदा रह जाऊँगा
तेरे अधरों से ही सही
मैं
मेरे गीत सुनाऊँगा
मैं मर कर भी अमर रहूँगा
अपना किस्सा खुद ही
कहूँगा
मेरे गीत कहानी जब
तक
तब तक कैसे भला
मरुंगा
गीतों पर मेरे कितने ही झूमेंगे
जाने कितने गोल-गोल ही घूमेंगे
मेरे गीतों को सुन
करके मस्ती में
प्रिय के नाजुक
हाथों को बस चूमेंगे
मेरे दर्द जमाने को
खुशियाँ देंगे
ढल करके गीतों में गलबहियाँ देंगे
गर हों मेरे दर्द
खिलौनें जग भर के
इससे खुशी क्या जग
भर को खुशियाँ देंगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें