यूं ही गाली देना
अपराध है कि नहीं
क्या कहते हो
खुराफ़ात है कि नहीं
आँखों आँखों में बात
हो गयी
ये भी इक संवाद है
कि नहीं
तुम हो ख़ूबसूरत और
क्या कहूँ
अच्छी खासी दाद है
कि नहीं
चुप्पियों में भी
बहुत कुछ कह गये
मौन भी सम्वाद है कि
नहीं
बिना बात के बात
बढ़ाना
ये बताओ फसाद है कि
नहीं
बात बात पर टूट जाता
है दिल
क्या कहूँ इसे
बर्बाद है कि नहीं
गाली देता है खुलेआम देश को
अजी बोलो ना आज़ाद
है कि नहीं
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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