मौन भी प्रेम का एक अनुवाद
है
प्रेम है साथ तो लगे सब साथ हैं
हिय तो आज़ाद था हिय
तो आजाद है
प्रेम से जो कहे वो
ही सम्वाद है
जिसके जीवन में हैं
प्रेम से दूरियाँ
उसके अपने भी
उसके कहाँ साथ हैं
धड़कनों पर किसी की
न बंदिश चले
ये अलग बात है उसपे रंजिश
चले
जिसका अवलम्ब ही प्रेम आधार है
उसके दुःख में भी
खुशियाँ खड़ी साथ हैं
प्रेम की भाषा शुक, श्वान तक जानते
प्रेम के भाव को अश्व
भी जानते
फिर मनुजता की तो
प्रेम ही नीव है
हैं जो राधा तो फिर कृष्ण भी साथ हैं
क्रोध का इक विजेता फकत प्रेम है
प्रेम जीवन में तो शुद्ध सा हेम है
इसकी शक्ति ने प्रभु
को पराजित किया
प्रेम की चाह में
सारा जग साथ
है
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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