यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 26 नवंबर 2019

मौन भी प्रेम का


मौन  भी  प्रेम  का   एक  अनुवाद है
प्रेम है  साथ  तो  लगे  सब  साथ हैं

हिय तो आज़ाद था हिय तो आजाद है
प्रेम  से  जो  कहे  वो ही  सम्वाद है
जिसके  जीवन  में  हैं प्रेम से दूरियाँ
उसके  अपने  भी  उसके कहाँ साथ हैं

धड़कनों पर  किसी  की न बंदिश चले
ये अलग  बात  है  उसपे  रंजिश चले
जिसका  अवलम्ब  ही प्रेम  आधार है
उसके दुःख में भी खुशियाँ खड़ी साथ हैं

प्रेम की भाषा  शुक, श्वान तक जानते
प्रेम  के  भाव  को  अश्व  भी जानते
फिर मनुजता  की  तो प्रेम ही नीव है
हैं जो राधा तो फिर  कृष्ण भी साथ हैं

क्रोध  का  इक  विजेता  फकत प्रेम है
प्रेम  जीवन  में  तो  शुद्ध  सा  हेम है
इसकी शक्ति ने प्रभु को पराजित किया
प्रेम की  चाह  में  सारा  जग  साथ है



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें