यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 13 अक्तूबर 2019

दिल बहलाने के ख़ातिर


दिल बहलाने के ख़ातिर मेरे गीत नहीं है
हाँ में हाँ ख़ातिर हम तुम्हरे गीत नहीं है
गीत   हमारे   मज़लूमों  के  साथी  हैं
गीत हमारे  दिनकर आज अतीत नहीं है

गीत हमारे लय के ही अनुसरण  नहीं हैं
प्रेमी मन का सहज-सरल अनुकरण नहीं हैं
गीत  मेरे  जन  संघर्षों   के  वाहक हैं
गीत मेरे बस कविता के आवरण नहीं हैं

गीत मेरे शब्दों के  केवल जाल नहीं हैं
अलंकार, श्रृंगार के केवल  लाल नहीं हैं
अपने  युग  के ये सच्चे  व्याख्याता हैं
काल के सच्चे वाद्य हैं केवल ताल नहीं हैं

ये  केशव  के  छंदों  जैसे  प्रीत नहीं हैं
केवल गीत हैं हार किसी की जीत नहीं हैं
प्रीति के आदि वैद्य हैं बस इतना समझो
दिल से गाते पर दावा  जगजीत  नहीं हैं 


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

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