यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 28 अक्तूबर 2019

उसको जवाब


उसको जवाब भी बड़ा  करारा  मिला
अपने गले पे जब अपना आरा मिला

एक लहर ऐसी भी आई कि हुआ यूँ
जो डूब रहा था  उसे किनारा मिला 

वो हार की चौखट पे खड़ा होने वाला था
कि दोस्त आये जीत गया सहारा मिला

जब से हुआ है प्रेम  लोग कहने लगे हैं
अपने नगर को एक नया आवारा मिला


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत


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