प्यार उसका भी बौखलाया हुआ
प्यार जो पहली बार
पाया हुआ
दिल की दुनिया अमीर
ऐसे हुई
गैर भी प्यार करने
आया हुआ
साथ तेरा जो मिल गया
होता
मैं भी थोड़ा निखर
गया होता
हम सफर मेरी गर बनी
होती
मैं क्या जीवन संवर
गया होता
तू जो मिलती तो मैं
न ये होता
तेरी बाँहों
में सो रहा होता
तेरा धोखा ही मेरी
दौलत अब
इतना मशहूर मैं न
कवि होता
प्यार से भूख मन की
मिटती है
गेहूं से तन की भूख
मिटती है
दोनों की अपनी
हैसियत है मगर
अर्थ बिन जिन्दगी ही
मिटती है
तेरे अधरों की बात
हो जाऊँ
तेरे धड़कन के पास हो
जाऊँ
प्यार इतना लुटाऊं
तुझपे कि
तेरे जीवन की आस हो
जाऊँ
तू जो आयी तो हर
खुशी आयी
ऐसा लगता कि हमनशीं
आयी
जितने गम थे कि गल
गये ही सभी
सूखे होठों
पे भी हँसी आयी
जाते – जाते हुए मुस्कराते रहे
दिल से दिल की वो
घंटी बजाते रहे
अधरों से बात कोई
हुई ना मगर
आखों आखों ही दिल
में समाते रहे
दिल की गलियों में
वे आते जाते रहे
कभी हंसते कभी तो रुलाते रहे
उनकी हर इक अदा
कातिलाना रही
सब के द्वारे ही वे
प्यार पाते रहे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें