यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

मैं तो जड़ था


मैं तो जड़ था मिली तुम तो जंगम हुआ
राग   अनुराग  का  उर  में  उद्गम  हुआ
मेरी  अभिलाषा   को  मान   तुमने  दिया
इसलिए   प्रेम   का   पुण्य   संगम  हुआ

प्रेम जड़ में भी चेतन को ला सकता है
प्रेम  से  आदमी कुछ भी पा सकता है
तुम  से मिलकर ही मैंने ये जाना प्रिये
प्रेम  से विकट स्थिति भी ढा सकता है

क्या था मैं और अब क्या से क्या हो गया
प्रेम  के  लोक  में  आकर  मैं खो गया
सच  कहूँ  तो  अभी  मैं  हुआ  आदमी
प्रेम  के  अस्त्र  से  पाप  सब  धो गया

प्रेम  तेरा  भी  है  प्रेम  मेरा   भी  है
प्रेम  जीवन  का  सुंदर  सा घेरा भी है
प्रेम  बिन  कल्पना  ज़िन्दगी  की नहीं
प्रेम  जीवन  का  पावन  सवेरा  भी है

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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