अपनों की चर्चा जब की जाने लगी
मुझको बस आप की याद
आने लगी
क्या बताऊँ मोहब्बत
में होता है क्या
बिछड़े जब से सनम जान
जाने लगी
जब से है ये कहा
प्रेम उनसे नहीं
रात दिन याद उनकी
सताने लगी
जब से मैंने कहा
प्रेम तुमसे प्रिये
हर घड़ी मुझको वो
आजमाने लगी
दोस्तों की वफ़ा
पर जो चर्चा उठी
दोस्ती सुन कर ये कंपकंपाने लगी
जब से खुद से कहा
पवन मगरूर हूँ
मेरी तस्वीर मुझको
डराने लगी
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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