यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

अपनों की चर्चा


अपनों  की चर्चा जब की जाने लगी
मुझको बस आप की याद आने लगी

क्या बताऊँ मोहब्बत में होता है क्या
बिछड़े जब से सनम जान जाने लगी

जब  से  है  ये कहा प्रेम उनसे नहीं
रात  दिन  याद  उनकी सताने लगी

जब  से  मैंने  कहा प्रेम तुमसे प्रिये
हर  घड़ी  मुझको वो आजमाने लगी

दोस्तों  की  वफ़ा पर जो चर्चा उठी
दोस्ती  सुन कर ये कंपकंपाने लगी

जब से खुद से कहा पवन मगरूर हूँ
मेरी  तस्वीर  मुझको  डराने  लगी


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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