जाने कितनों के
जिंदगी के हिस्से से
पल-पल कट रहा है
वक्त बीत रहा है
और मैं जी रहा हूँ
पल को कटने की जल्दी
वक्त को बीतने की जल्दी
मुझे इनको थाम कर
इनके साथ जीने की
चाह है आराम से
क्योंकि मैं एक आदमी हूँ
और भरपूर जिंदा हूँ
बाहर से अधिक अंदर
मैं कटने या बीतने नहीं
अपनी सहूलियत और शर्तों पर
जिंदगी जीने आया हूँ
और जियूँगा भरपूर
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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