यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 5 दिसंबर 2018

जियूँगा भरपूर




जाने कितनों के

जिंदगी के हिस्से से

पल-पल कट रहा है

वक्त बीत रहा है

और मैं जी रहा हूँ 

पल को कटने की जल्दी

वक्त को बीतने की जल्दी

मुझे इनको थाम कर

इनके साथ जीने की

चाह है आराम से

क्योंकि मैं एक आदमी हूँ

और भरपूर जिंदा हूँ

बाहर से अधिक अंदर

मैं कटने या बीतने नहीं

अपनी सहूलियत और शर्तों पर

जिंदगी जीने आया हूँ

और जियूँगा भरपूर



पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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