देने को उपदेश बहुत हैं
देश में भी परदेस बहुत हैं
संकट में कोई काम ना आए
वैसे मित्र विशेष बहुत हैं
जग में रिश्तेदार बहुत हैं
मौके पर बेकार बहुत हैं
बनते काम बिगड़ जाने पर
खेद जताते यार बहुत हैं
जीवन में जंजाल बहुत हैं
अंजाने से कमाल बहुत हैं
एक क्षण रोना एक क्षण गाना
तिकड़म के भी जाल बहुत हैं
एक ही जीवन लक्ष्य बहुत हैं
ध्यान से देखो तथ्य बहुत हैं
है अद्भुत अमूल्य ये जीवन
खोजोगे तो सत्य बहुत हैं
अपने भी तो ख्वाब बहुत हैं
अपनों के भी दाब बहुत हैं
हमी नहीं सपनों के राजा
एक से एक नवाब बहुत हैं
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें