यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 7 नवंबर 2018

कितना बड़ा गुण है दोगलापन


मनुष्य असफलताओं और
सतत पीड़ा के घेरे में घिरे होने पर
स्वयं के संघर्ष के लिए
एक मात्र मिथ्या आस को
ठहराता है दोषी
प्रारब्ध और भाग्य को
कई बार इन आभासी अवलम्बों से
उबार लेता है स्वयं को
किन्तु जब उबर पाने के
नहीं दिखाई देते संकेत
तो फिर वह कहता है
ईश्वर की शायद यही इच्छा थी
हाँ यदि वह पा जाता है
कोई बड़ी उपलब्धि या सफलता
 तब वह भाग्य या प्रारब्ध अथवा
ईश्वर को नहीं देता श्रेय
वह कहता है,
मेरे अथक श्रम का परिणाम है
स्वयं के सामर्थ्य से किया है
अकेले में कभी सोचा था
आज लिख रहा हूँ
अपवादों को छोड़कर मनुष्यों में
कितना बड़ा गुण है दोगलापन

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
  

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